naat sharif trending
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Islamic poetry is stuffed with Mohammed's praise (PBUH). It is tough to track Naat khawani's historical past as there is not any verified background of when it had been initially launched.
On this post I'm likely to provide you with a lot of naat sharif lyrics which you can study in 3 languages Hindi, English and Urdu.
On at the present time, the believers greet his birthday to show their like and devotion into the Prophet (PBUH). This festival is all about remembering and regarding the teachings of the Holy Prophet.
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Later on within the working day, men and women utilized to recite and offer you prayers after which people through the ruling clan gave speeches and verses with the Holy Quran. It had been only from the 12th century, that other Muslim international locations such as Syria, Turkey, Morocco, and Spain began to rejoice this day.
कव्वाली से तो हर कोई वाकिफ है, जहां तक नात की बात है तो यह एक विशेष तरह की धार्मिक कविता शैली में बेहद खूबसूरत गीत होता है. वस्तुतः नात पैगंबर मुहम्मद की जिंदगी, उनके गुण, उनके उपदेश व उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने का विशेष अंदाज होता है. नात की परंपरा को निम्न बिंदुओं से समझा व देखा जा सकता है.
At 38 a long time outdated, Atif has immersed himself in a variety of Islamic literature, obtaining browse and studied quite a few books that have deepened his information and comprehension of the religion.
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There are a variety of ways that naat is written. But their attribute is genuine where These are written when compared with other eulogies and qasida. Naat is a robust lyrical poem in which the writer talks and prays specifically for the Prophet (PBUH).
TheSufi.com Assemble and update list of best of the greatest Naats from all around the globe you should listen to.
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Prophet Muhammad (peace and blessings be upon him) is the last messenger of Allah Almighty, and a person of smart terms, honesty, and mercy on all human beings. Your complete humanity is blessed by the birth of Prophet Muhammad and therefore any day associated with his daily life is of great importance for Muslims regardless of geographical boundaries.
Mashallah aap jese naat kha mene nhi suna ta .aapki voice me mere Nabi SAWW ki naat ho ya hamad ho ya manqabat ho sab mujhe ek alag hi sukun pahuchati hai ..Allah apne Habib k sadke Zulfiqar Ali husaaini shab ko jannatul firdaus me aala se aala maqam ata kre.
फुकुशिमा प्लांट से रोबोट ने निकाला रेडियोएक्टिव मलबा
दो जहां की बेहेतरियां नहीं के अमान मिले दिलों जान नहीं
क्या बताऊँ कि क्या मदीना है बस मेरा मुद्द'आ मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है उठ के जाऊँ कहाँ मदीने से क्या कोई दूसरा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है उस की आँखों का नूर तो देखो जिस का देखा हुवा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है दिल में अब कोई आरज़ू ही नहीं या मुहम्मद है या मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है दुनिया वाले तो दर्द देते हैं ज़ख़्मी दिल की दवा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है दुनिया वाले तो दर्द देते हैं दर्द-ए-दिल की दवा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है मेरे आक़ा !
तड़पता है ये दिल मेरा, तरसती हैं मेरी आँखें
अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर !
बहन ने जब क़ुर'आन पढ़ा, सुन के कलाम-ए-पाक-ए-ख़ुदा
दुनिया के हर 'आशिक़ की आँखों का वो तारा है
कहाँ जाए, आक़ा ! ये मँगता भला मदीना बुला लीजिए वो रमज़ान तेरा, वो दालान तेरा वो अज्वा, वो ज़मज़म, ये मेहमान तेरा तेरे दर पे इफ़्तार का वो मज़ा मदीना बुला लीजिए जहाँ के सभी ज़र्रे शम्स-ओ-क़मर हैं जहाँ पे अबू-बक्र-ओ-'उस्माँ, 'उमर हैं जहाँ जल्वा-फ़रमा हैं हम्ज़ा चचा मदीना बुला लीजिए हुआ है जहाँ से जहाँ ये मुनव्वर जहाँ आए जिब्रील क़ुरआन ले कर मुझे देखना है वो ग़ार-ए-हिरा मदीना बुला लीजिए जिसे सब हैं कहते नक़ी ख़ाँ का बेटा वो अहमद रज़ा है बरेली में लेटा उसी आ'ला
नूर-ए-मुहम्मद सल्लल्लाह, ला-इलाहा-इल्लल्लाह
हैं शाद हर एक मुसलमान, करता है घर घर चरागा।
अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर !
गौस उल वरा और दाता ने, मेरे रजा और ख्वाजा ने।
मुस्त़फ़ा, जान-ए-रह़मत पे लाखों सलाम शम्-ए-बज़्म-ए-हिदायत पे लाखों सलाम मेहर-ए-चर्ख़-ए-नुबुव्वत पे रोशन दुरूद गुल-ए-बाग़-ए-रिसालत पे लाखों सलाम शहर-ए-यार-ए-इरम, ताजदार-ए-ह़रम नौ-बहार-ए-शफ़ाअ़त पे लाखों सलाम शब-ए-असरा के दूल्हा पे दाइम दुरूद नौशा-ए-बज़्म-ए-जन्नत पे लाखों सलाम हम ग़रीबों के आक़ा पे बे-ह़द दुरूद हम फ़क़ीरों की सर्वत पे लाखों सलाम दूर-ओ-नज़दीक के सुनने वाले वो कान कान-ए-ला’ल-ए-करामत पे लाखों सलाम जिस के माथे शफ़ाअ'त का सेहरा रहा उस जबीन-ए-सआ'दत पे लाखों सलाम जिन के सज्दे को मेह़राब-ए-का’बा झुकी उन भवों की लत़ाफ़त पे लाखों सलाम जिस त़रफ़ उठ गई, दम में दम आ गया उस निगाह-ए-इ़नायत पे लाखों सलाम नीची आंखों की शर्म-ओ-ह़या पर दुरूद ऊँची बीनी की रिफ़्अ'त पे लाखों सलाम पतली पतली गुल-ए-क़ुद्स की पत्तियाँ उन लबों की नज़ाकत पे लाखों सलाम वो दहन जिस की हर बात वह़ी-ए-ख़ुदा चश्मा-ए इ़ल्म-ओ-हिकमत पे लाखों सलाम वो ज़बाँ जिस को सब कुन की कुंजी कहें उस की नाफ़िज़ ह़ुकूमत पे लाखों सलाम जिस की तस्कीं से रोते हुए हँस पड़ें उस तबस्सुम की अ़ादत पे लाखों सलाम हाथ जिस सम्त उठ्
मैं पानी का प्यासा नहीं हूँ मेरा सर कटाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जो देखा है
तड़पता है मेरा दिल और तरसती हैं बहुत आँखें